इश्क़ में शहर होना - रविश कुमार

इश्क़ में शहर होना

इश्क़ में शहर होना एक अवलोकन पर आधारित पुस्तक है। NDTV के वरिष्ठ पत्रकार और ramon magsaysay पुरुस्कार से सम्मानित रविश कुमार जब गाँव से शहर आये तो उन्होंने शहर को जैसा देखा-समझा, उसपर बहुत सारी लघु प्रेम कहानियां (लप्रेक) लिख डाली। उन कहानियों को विक्रम नायक के चित्रांकन के साथ एक पुस्तक के रूप में हमें सौंप दिया - "इश्क़ में शहर होना।"

वे कहते हैं कि आप किसी शहर को तभी समझ सकते हैं जब आप इश्क़ में होते हैं, क्योंकि इश्क़ में चलना पड़ता है। आप आपस में बातें भी करना चाहते हैं और सड़क पर आपकी ओर बढ़ रही निगाहों से भागना भी चाहते हैं। इसलिए आप चलते हैं। चलते-चलते आप शहर के उन तमाम हिस्सों में भी पहुँच जाते है, जहाँ आप यूँही नहीं जाते। दरअसल आप प्राइवेसी की तलाश में होते हैं। और प्राइवेसी के लिए इधर-उधर, ज़माने की निगाहों से दूर भागते हैं, शहर को खोजते हैं।

लेखक : रविश कुमार 

चित्रांकन :  विक्रम  नायक 

प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन प्रा. लि.


  • लप्रेक -१ (The auto-rickshaw driver)


  • लप्रेक -२ (Coming soon)

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