बड़े भाई साहब

भारत में रिश्तों की बहुत अधिक अहमियत होती है। हर रिश्ते-नाते को निभाना पड़ता है। निभाना इसलिए पड़ता है क्योंकि हर रिश्ते के साथ कुछ दायित्व स्वतः ही जुड़ जाते हैं।हर रिश्ते के साथ कुछ जिम्मेदारियाँ होती हैं जो हमें निभानी पड़ती हैं। माँ-बाप का अपने बच्चों के प्रति, बच्चों का अपने माता-पिता के लिए, पति-पत्नी का एक दूसरे के लिए, बड़े बुजर्गों का अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए कुछ दायित्व होता है। 
घर में जो बड़ा भाई होता है उसके ऊपर भी जिम्मेदारियां काम नहीं होती हैं।भारत में बड़े भाई के कंधे पर एक पिता जितनी जिम्मेदारियों का बोझ होता है। और शायद इसी बड़े भाई  होने का धर्म निभाते हुए एक बड़ा भाई शायद यह भूल जाता है कि वह सिर्फ अपने 8 साल के छोटे भाई का बड़ा भाई ही नहीं, बल्कि स्वयं भी एक 13 साल का बच्चा ही है। लेकिन अपने बड़े भाई का धर्म निभाने के लिए वह अपने अंदर के बच्चे को मार कर उसे बुजुर्ग बना देता है। 
यदि वह स्वयं बेराह चले तो अपने छोटे को कैसे डांट-फटकार लगाए। अपने नैतिक कर्तव्यबोध के कारन बड़े भाई साहब अपने अंदर के बच्चे को मार देते हैं। अपनी इच्छाओं का गाला घोंट देते हैं। 

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